Satellite Internet का दौर अब शुरू हो चुका है. इसी बीच भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने इसके बारे में एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि सैटेलाइट इंटरनेट एक “मैजिक बुलेट” की तरह है, जो उन इलाकों तक इंटरनेट पहुंचाएगा, जहाँ अब तक इंटरनेट नहीं पहुंचा है. सैटेलाइट इंटरनेट रेगिस्तान, जंगल और पहाड़ी इलाकों को जोड़ने में मदद करेगा, जिससे इन दूर-दराज के क्षेत्रों में भी इंटरनेट सुविधा उपलब्ध हो सकेगी.
देश की 25 फीसद एरिया में इंटरनेट की गैरमौजूदगी
सुनील मित्तल ने कहा कि भारत की 5 % जनसंख्या पूरी तरह से इंटरनेट से कनेक्ट नहीं है, जो कि देश के लगभग 25% क्षेत्र को प्रभावित करता है. ऐसे में सैटेलाइट इंटरनेट एकमात्र तरीका है, जिससे इन इलाकों में इंटरनेट पहुंचाया जा सकता है. खास बात यह है कि सैटेलाइट इंटरनेट के लिए किसी तार या मोबाइल टावर की जरूरत नहीं होती. इसलिए पहाड़ी, रेगिस्तानी और जंगली इलाकों में बिना मोबाइल टावर या केबल बिछाए, सीधे सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट उपलब्ध कराया जा सकता है.
सैटेलाइट इंटरनेट की दौड़
सैटेलाइट इंटरनेट के मामले में एलन मस्क और मुकेश अंबानी जैसे बड़े कारोबारियों के बीच टकराव हो रहा है. एलन मस्क की मांग को मानते हुए, केंद्र सरकार ने सैटेलाइट इंटरनेट स्पेक्ट्रम देने के लिए प्रशासनिक तरीका अपनाया है. वहीं मुकेश अंबानी की जियो और एयरटेल ने नीलामी प्रक्रिया की मांग की है. इस समय सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की कीमत को लेकर विवाद भी हो रहा है. लोग चाहते हैं कि सरकार सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की कीमत को कम रखे, ताकि इंटरनेट सिर्फ शहरों तक सीमित न रहे. अगर स्पेक्ट्रम की कीमत बहुत ज्यादा होगी, तो इसे गांवों तक पहुंचाना मुश्किल होगा.
केंद्र सरकार ने प्राइसिंग की डेडलाइन में किया इजाफा
केंद्र सरकार ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की कीमतों पर एक सलाह देने वाला पेपर जारी किया था, जिस पर लोगों को अपने सुझाव देने थे. ट्राई (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) ने इस पेपर पर सुझाव देने की आखिरी तारीख बढ़ा दी है. अब यूजर्स 1 नवंबर तक अपने सुझाव दे सकते है.