अब होंगे सभी रिचार्ज सस्ते! Jio, Airtel, Voda की सरकारसे करि मांग को पूरी होते ही होगा बहुत फायदा

Recharge News : टेलीकॉम कंपनियों ने लाइसेंस फीस को कम करने की मांग की है. वे 0.5% से 1% तक की कमी चाहती है. कंपनियों का कहना है कि इससे उनके नेटवर्क को बेहतर बनाने और विस्तार करने में मदद मिलेगी. फिलहाल, लाइसेंस फीस 8% है. इंडस्ट्री ने कहा है कि ये फीस डिजिटल नेटवर्क सुधारने के लिए भी जरूरी है.

टेलीकॉम इंडस्ट्री में काफी बदलाव आ रहा है. कंपनियों ने लाइसेंस फीस को कम करने की मांग की है. वे 0.5% से 1% तक की कमी चाहती है. वर्तमान में यह फीस 8% है. इंडस्ट्री ने इस पर तुरंत विचार करने का अनुरोध किया है. उनका कहना है कि अगर यह फीस कम हो जाती है, तो नेटवर्क को बेहतर बनाना और उसका विस्तार करना आसान हो जाएगा.

डिजिटल नेटवर्क को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है. सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने बताया है कि जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया तीन प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां है. इन कंपनियों को कुल 8% लाइसेंस फीस में से 5% यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन चार्ज देना होता है.

टेलीकॉम कंपनियों ने बताया कि पहले जब लाइसेंस और स्पेक्ट्रम एक साथ थे, तब लाइसेंस शुल्क सही था. लेकिन 2012 में स्पेक्ट्रम को लाइसेंस से अलग कर दिया गया. अब स्पेक्ट्रम को खुली और पारदर्शी नीलामी के जरिए दिया जा रहा है.

COAI के महानिदेशक एसपी कोचर ने कहा कि जब स्पेक्ट्रम को लाइसेंस से अलग कर बाजार मूल्य पर आवंटित किया गया, तो लाइसेंस शुल्क लगाने का कारण खत्म हो गया था. लाइसेंस शुल्क को सिर्फ प्रशासनिक खर्चों को कवर करने के लिए होना चाहिए, जो कुल राजस्व का 0.5% से 1% तक हो सकता है, ना कि वर्तमान में 8%. टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि सरकार और टेलीकॉम नियामक यह मानते हैं कि इस उद्योग में मुनाफा कम है. कुछ अधिकारियों ने हाल ही में हुई इंडिया मोबाइल कांग्रेस में भी इस बात का जिक्र किया था.

COAI ने कहा कि भारत में टेलीकॉम कंपनियां टेलीकॉम से जुड़े AGR भुगतान के साथ-साथ CSR, GST और कॉर्पोरेट टैक्स भी दूसरी कंपनियों की तरह ही देती है. कोचर ने बताया कि यह स्थिति टेलीकॉम कंपनियों को दूसरे व्यवसायों के मुकाबले नुकसान में डालती है, जिससे उनके पास तकनीकी उन्नति के लिए निवेश करने की क्षमता कम हो जाती है.

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