Home Loan Saving Tip: हालिया आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा कीमतें फिर से पिछले 14 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई. भारतीय रिजर्व्ड बैंक (आरबीआई) ने पिछले दस साल से रेपो रेट को 6.5 % पर स्थिर रखा है. ऐसे में जो लोग होम लोन सस्ता होने का इंतजार कर रहे थे उन्हें हैरानी हुई.
एसबीआई पहले ही संकेत दे चुका है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में होने वाली एमपीसी के दौरान ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम है. इस बार एमपीसी की बैठक 4 से 6 दिसंबर तक होगी. इस बार भी इसके 6.5% ही रहने की उम्मीद है.
कुछ तो अभी तक ब्याज दर घटने का इंतजार कर रहे
मई 2022 से मार्च 2023 के बीच आरबीआई द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी हुई थी, इसके कारण कई लोगों की होम लोन ईएमआई या लोन अवधि बढ़ गई है. इससे बचने के लिए कुछ ने अपनी योजनाएं तैयार कर ली हैं तो कुछ अभी भी ब्याज दरें घटने का इंतजार कर रहे हैं. अगर आपने होम लोन लिया है या लेने की सोच रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. लेकिन अगर आप अपना लोन समय पर चुकाना चाहते हैं, तो आपको क्या करना चाहिए, इसके बारे में जानते है.
लोन का टेन्योर कम रखे
विशेषज्ञ ब्याज का बोझ कम करने के लिए आपके लोन की अवधि (लोन का टेन्योर) कम रखने की सलाह देते है. लोन की अवधि जितनी लंबी होगी, ब्याज के कारण उतना ही अधिक ब्याज चुकाना होगा. उदाहरण के लिए यदि आप दस साल के लिए 9% ब्याज पर 50 लाख रुपये का लोन लेते हैं, तो ब्याज 26 लाख रुपये होगा. वही अगर अवधि बढ़कर 15 साल हो जाती है तो भुगतान बढ़कर 41 लाख रुपये हो जाता है. जबकि 20 साल के लोन पर ब्याज भुगतान 58 लाख रुपये बनता है.
ईएमआई बढ़ाने का महत्व
ज्यादातर युवाओं को घर खरीदारों के लिए कम लोन अवधी मुश्किल हो सकता है. दरअसल कई समय ईएमआई उनके बजट में फिट नहीं बैठती. लेकिन अगर आप 15-20 साल की लंबी अवधि के लिए जा रहे हैं, तो अपनी आय बढ़ने पर धीरे-धीरे ईएमआई बढ़ाने का प्रयास करे. ईएमआई को 5% प्रति वर्ष बढ़ाने से 20 साल के लोन की अवधि लगभग आठ साल कम हो जाती है. अगर आप सालाना 10% की दर से ईएमआई बढ़ाते हैं तो 9% की ब्याज दर पर 50 लाख रुपये के होम लोन का भुगतान सिर्फ दस साल में पूरा हो जाएगा.
इंश्योरेंस
होम लोन लेने पर विचार करते समय, कर्जदार द्वारा दी जाने वाली बीमा योजना को जानना बहुत महत्वपूर्ण है. अपने रिश्तेदारों को किसी भी समस्या से बचने के लिए होम लोन के अलावा जीवन बीमा लेने की सलाह दी जाती है. लेकिन बैंकों द्वारा दी जाने वाली पॉलिसियों को कुछ लिमिटेशन्स रहते है. ज्यादातर ये पॉलिसियाँ लोन से जुड़ी होती हैं और इन्हें ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है. इसका मतलब यह है कि यदि आप अपने लोन के दौरान लेंडर को बदलते हैं, तो यह खो जाएगा. इसलिए टर्म इन्शूरंस लेने की सलाह दी जाती है. इसमें प्रदान किया गया कवरेज सभी मामलों में निरंतर है.
ब्याज दर और बेंचमार्क के बीच संबंध
होम लोन चुनते समय क्रेडिट स्कोर और लोन दर के बीच संबंध को समझना महत्वपूर्ण है. ज्यादातर होम लोन की फ्लोटिंग दरें आरबीआई रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से जुड़ी होती है, जून 2023 से यह 6.5% पर बनी हुई है. तिमाही, सहा माही, या वार्षिक लेंडर रीसेट अवधि निर्धारित हो सकती है. तय करें कि पैसे लेने से पहले आप कितनी बार दर की जाँच करेंगे. ऐसा लोन चुनें जो बाहरी बेंचमार्क दरों में तेजी से बदलाव को दर्शाता हो.
ज्वाइंट लोन
यदि आपका जीवनसाथी काम करता है, तो आप टैक्स बेनिफिट से लाभ पाने के लिए लोन राशि में ज्वाइंट होम लोन ले सकते है. सरकार होम लोन के भुगतान पर दिए गए ब्याज पर 2 लाख रुपये तक की कटौती की अनुमति देती है. हालाँकि 9% की ब्याज दर पर 20 साल के लिए 50 लाख रुपये के होम लोन पर सालाना ब्याज लगभग 4.5 लाख रुपये होगा.