UGC New Course: नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) में टॉप 200 में जगह बनाने वाली यूनिवर्सिटियाँ अब कौशल विकास से जुड़े कोर्स लॉन्च कर सकती है.
इस पहल का उद्देश्य युवाओं को इंडस्ट्री के साथ डायरेक्ट पार्टनरशिप में प्रशिक्षण प्रदान करना है. इस दौरान इंडस्ट्री युवाओं को स्टाइपेंड भी देगी, और राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना (NATS) के तहत रजिस्ट्रेशन करने वाले छात्रों को सरकार की तरफ से भी स्टाइपेंड मिलेगा.
यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने सभी यूनिवर्सिटीज से इस मुहिम में शामिल होने की अपील की है. इसके साथ ही, जिन यूनिवर्सिटीज को नैक (NAAC) से कम से कम एक ग्रेड या 3.01 स्कोर प्राप्त है, वे भी इस कोर्स को शुरू कर सकती है.
कोर्स की विशेषताएँ
इस कौशल विकास कोर्स की सबसे खास बात यह है, कि इसमें सेमेस्टर ट्रेनिंग पहले दिन से ही शुरू हो जाएगी. यदि कोर्स तीन वर्ष का है, तो छात्रों को कम से कम एक सेमेस्टर और अधिकतम तीन सेमेस्टर के लिए इंडस्ट्री में प्रशिक्षण दिया जाएगा. वहीं, चार वर्ष के कोर्स में छात्रों को कम से कम 2 और अधिकतम 4 सेमेस्टर की ट्रेनिंग मिलेगी.
कोर्स के तहत यूनिवर्सिटी, इंडस्ट्री, और छात्रों के बीच एक एग्रीमेंट होगा, जिसमें तीनों पार्टियों की भूमिका पहले दिन से ही तय की जाएगी. छात्रों को ट्रेनिंग में भाग लेना अनिवार्य होगा. यह कोर्स केवल क्लासरूम टीचिंग तक सीमित नहीं रहेगा; इसका बड़ा हिस्सा स्किल ट्रेनिंग का होगा.
जॉब की संभावनाएँ
इस कोर्स के तहत यूनिवर्सिटीज जिन कंपनियों के साथ समझौता करेंगी, वहां छात्रों को कोर्स पूरा करने के बाद जॉब पाने के बेहतर अवसर मिलेंगे. इसके अलावा, छात्रों को स्टार्टअप शुरू करने के लिए भी तैयार किया जाएगा, ताकि वे अपने कौशल का सही उपयोग कर सके.
अप्रेंटिसशिप का महत्व
अप्रेंटिसशिप एक ऐसा ट्रेनिंग कार्यकाल है जिसमें छात्रों को इंडस्ट्री में व्यावहारिक ज्ञान दिया जाता है. इस दौरान उन्हें क्लासरूम टीचिंग के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी मिलता है, जिससे वे करियर के लिए जरूरी यूनिवर्सिटी डिग्री भी प्राप्त कर सकते है.
यूजीसी की इस नई पहल से छात्रों को न केवल शिक्षा में मदद मिलेगी, बल्कि उन्हें अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक कौशल भी विकसित करने का अवसर मिलेगा. यह भारत में शिक्षा और उद्योग के बीच एक महत्वपूर्ण कदम होगा.